विविध
पानी पीने के फायदे – अनेक रोगों की सिर्फ एक ही दवा है पानी

पानी को रामबाण औषधि के रूप में जाना जाता हैं। रोग सौ हो सकते है लेकिन इलाज सिर्फ पानी है। हम पानी के फायदें जानने की कोशिश इस आलेख में कर रहे है।
पानी की उपयोगिता, फायदे व पानी पीने के तरीके —
दुनिया में रोगों की संख्या गिनना मुश्किल है। वर्तमान में विभिन्न प्रकार के खान-पान व विशेषकर फास्टफूड ने बीमारियों को घर-घर में निमंत्रण देकर बुलाया है। वैसे तो हम हम दैनिक जीवन में इन बीमारियों से बचने हेतु कई जतन करते ही रहते हैं लेकिन विभिन्न बीमारियों में एक रामबाण इलाज है, वह है सिर्फ और सिर्फ पानी।
जीहाँ, पानी सौ बीमारियों का एक इलाज कहा जा सकता है। पानी पीने के अनेकों फायदे हैं, या यूँ कहें कि पानी के बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं है तो भी गलत नहीं होगा। पानी हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व कहा जा सकता है। एक स्वस्थ बालिग व्यक्ति का शरीर 70 प्रतिशत पानी से बना होता है अर्थात उसके शरीर में लगभग 40 लीटर तक पानी की मात्रा हो सकती है जो मांसपेशियों में मिलता हैं, खून का हिस्सा होता हैं, भोजन का भाग होता है व शरीर में विद्यमान विभिन्न द्रव्यों का भाग होता है।
पानी शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। आईए पानी के कुछ फायदों को हम इस आलेख में जानने का प्रयास करते हैं।
पानी पीने के फायदे –
(1) स्वस्थ बालिग व्यक्ति का शरीर 70 प्रतिशत तक पानी से नीर्मित होता है, लिहाजा शरीर का महत्वपूर्ण पोषक तत्व माना जाता है।
(2) पानी शरीर के बेकार तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाता है। पानी शरीर के बेकार तत्वों को मल, मूत्र, पसीना, आँसू आदि मार्गों से बाहर निकालने में मददगार है।
(3) पानी शरीर में भोजन को पचाने में मुख्य सहायक तत्व है। पानी न केवल शरीर में भोजन को पसाता है बल्कि कब्ज को रोकने में भी सहायक है।
(4) पानी शरीर की सभी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियमित करता है, यह भोजन को पचाता है, भोजन को घुलनशील बनाकर पाचन तंत्र को सुचारू बनाता है।
(5) आंतों की नियमित साफ सफाई में पानी का अहम रोल होता है।
(6) पानी शरीर में नए ऊत्तकों के निर्माण में सहायक होता है। यह शरीर के विभिन्न जोड़ोमें चिकनाहट उत्पन्न करता है जिससे व्यक्ति का शरीर नियंत्रित रहता है।
(7) पानी शरीर के सामान्य तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इससे शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है।
(8) शरीर में पसीने की मात्रा ज्यादा निकलने पर शरीर का तापमान कम होता है जिसको नियंत्रित करने में पानी मुख्य भूमिका निभाता है।
(9) पानी शरीर के रक्त तंत्र को सुचारू बनाने में सहायक होता है।

पानी की उपयोगिता, फायदे व पानी पीने के तरीके
हमें प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए —
वैसे तो पानी हमें हम भोजन, हर प्रकार के खाद्य पदार्थों से मिलता है। चाहे किसी भी प्रकार का भोजन हो, हरी सब्जी हो, नाश्ता हो या फल फ्रूट्स सबमें किसी न किसी रूप में पानी की आपूर्ति होती है लेकिन हमें प्राकृतिक जल की भी प्रतिदिन आवश्यकता रहती है। एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए।
भोजन के बिना हम जीवन व्यतित कर सकते हैं लेकिन पानी के बिना नहीं। पानी के बिना हम 3-4 दिन से ज्यादा जीवन नहीं जी सकते। शरीर में पानी की कमी होते ही शरीर में कमजोरी व्याप्त हो जाती है। ज्यादा मात्रा में शरीर में पानी की कमी होने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है। शरीर में पानी वैसे तो मल मूत्र, पसीने व शारीरिक क्रियाओं द्वारा कम होता है लेकिन गर्मी में पानी की कमी जल्दी होती है इसलिए गर्मी के मौसम में ज्यादा से ज्यादा द्रव्य पदार्थ की आवश्यकता पड़ती है।
पानी की मात्रा बढ़ने से भोजन में रेसों की मात्रा बढ़ती है जिससे हमें कब्ज नहीं होती व पेट साफ रहता है जिससे हम सैकड़ों छोटी मोटी बीमारियों में बचे रहते हैं। ज्यादा मात्रा में थकान का अनुभव होते ही हमें पानी अवश्य पीना चाहिए, यह हमारी थकावट को मिटाकर हमें तरोताजा बनाता है। शरीर में पोटेशियम, क्लोराईट, फॉस्फेट, सल्फेट व अन्य विभिन्न स्त्रोतों को नियंत्रित करने में पानी मुख्य भूमिका निभाता है। गुर्दों की देखभाल केलिए पानी आवश्यक तत्व है। पानी की कमी से शरीर में गुर्दे खराब हो जाते हैं, लिवर की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं, हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं इसलिए इनका इजाज तत्काल जरूरी होता है।
पानी का सेवन शरीर को सुचारू रूप से चलाता है। वैसे तो हमें पानी पीने की आदत होती ही है लेकिन कई मर्तबा हम पानी की कमी को महसूस नहीं कर पाते। जीवन अमूल्य है इसलिए हम छोटी मोटी आदतों को अपनाकर काफी बीमारियों से बचे रह सकते हैं इसमें पानी भी एक है। पानी की कमी या कम पानी पीने की आदत होने पर हम निम्न प्रकार पानी को अपने जीवन में सम्मिलित कर सकते है।
पानी पीने के दैनिक तरीके –
(1) यदि पानी पीने की कम आदत है तो पानी में नींबू मिलाकर या संतरा मिलाकर सर्बत के रूप में सेवक कर सकते हैं जिससे शरीर में पानी की मात्रा कम नहीं होगी।
(2) जहां हम कार्य करते हैं वह टेबल पर पानी की बोतल अवश्य रखें व थोड़ी थोड़ी देर में पानी पीते रहें। अगर बार-बार पानी न पी सके तो एक घंटे में अवश्य पी ले
(3) सफर में पानी की बोतल अवश्य साथ में रखें।
(4) चाय-कॉफी पीते से पूर्व भी पानी पिया जा सकता है।
(5) लस्सी, छाछ, दही, सूप, फल ज्यूस, सर्बत आदि पीते रहे जिससे पानी की पूर्ति होती रहे।
(6) भोजन में पानी को अवश्य साथ में रखें। वैसे भोजन के बाद आधा घंटा बाद ही पानी पीना चाहिए जिससे पेट की जटाग्नि संतुलित रहें।
(7) ज्यादा मात्रा में वजन बढ़ने पर पानी से वजन कम किया जा सकता है। वजन बढ़ने पर गुनगुना पानी सुबह शाम अवश्य पीना चाहिए इससे शरीर की चरबी कम होती है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी का सेवन अवश्य करें।
– राही

विविध
वीरों की भूमि राजस्थान में वीर भगवान के मंदिर स्थानीय स्तर पर आस्था व विश्वास के प्रतीक है।

राजस्थान वीरों की भूमि है। यहाँ पर अनेक वीर पुरूषों ने अपनी मातृभूमि व अपनी आन बान के लिए अपने प्राणों की आहूती दी है। क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के गांवों में छोटे बड़े वीर भगवान के मंदिर है? जीहाँ, राजस्थान में लगभग हर गाँव में आपको एक न एक वीर भगवान का मंदिर अवश्य मिलेगा। इन मंदिरों को आप स्थानीय भाषा में ‘वीरजी बावसी’ या ‘मोमाजी बावसी’ के नाम से भी जान सकते है।
‘पधारो म्हारे देश’ की परम्परा निभाने वाले वीरों की भूमि राजस्थान के गांवों में आपको स्थानीय स्तर पर कोई न कोई छोटा-मोटा ऐसा मंदिर अवश्य देखने को मिलेगा जिसका नाम आपने पहले कभी नहीं सुना होगा। यह मंदिर दरअसल स्थानीय देवता की श्रेणी में आते है। राजस्थान के सिरोही, जालोर, पाली, जोधपुर जैसे जिलों के गांवों में यह मंदिर ‘वीरजी बावसी’ तो कई पर ‘मोमाजी बावसी’ के नाम से मिलेंगे।
राजस्थान के अन्य जिलों व गांवों में यह मंदिर आपको स्थानीय लोक देवता, वीर भगवान या अन्य किसी नाम से देखने को मिलेंगे। स्थानीय लोगों की इन मंदिरों के प्रति बहुत ही आस्था होती है। किसी गांव में तो पेड के नीचे चबूतरे पर ही यह छोटा सा मंदिर आपको देखने को मिल जायेगा। कई पर यह मंदिर धीरे धीरे बहुत विशाल भी बनते गये हैं।
इन मंदिरों की एक मुख्य विशेषता यह होती है कि भगवान के साथ घोड़ों की मूर्तिया भी देखने को मिलती है। यदि कभी आपका राजस्थान आना होवे और आपको कोई ऐसा मंदिर दिखे जिसमें आपको किसी घोडे या बहुत सारे घोड़ों की मूर्तिया भी दिखे तो यकिन मानिए वह वीर भगवान का ही मंदिर है। स्थानीय स्तर पर लोगों की आस्था इन मंदिरों के प्रति बहुत ही दृढ़ होती है।
जिस गांव में यह मंदिर होता है, स्थानीय लोग उस मंदिर के सामने से बिना हाथ जोड़े गुजरते भी नहीं है। यदि कोई मोटरसाईकिल सवार या कोई चार पहिया गाड़ी लेकर ऐसे मंदिर के पास से गुजर रहा है तो वह हॉर्न अवश्य देता है। ऐसे मंदिरों में सब जगह अपनी-अपनी कहानियां व किस्सें है। हर वीर भगवान की दास्तां ‘वीरता की दास्तां’ कही जा सकती है। अधिकांश ‘वीर भगवान’ शहीद ही श्रेणी में ही माने जाते हैं जिन्होंने किसी अच्छे कार्य हेतु अपना बलिदान दिया हुआ होता है।
दूसरे शब्दों में लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त करने वाले ‘वीर भगवान’ वीरों की भूमि राजस्थान की संस्कृति का एक अहम भाग कहा जा सकता है। लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों व कहानीकारों ने ऐसे मंदिरों पर ज्यादा न कुछ लिखा है न पढ़ा है। राजस्थान के अधिकांश जिलों में जब हर गांव में एक न एक ‘वीर भगवान’ का छोटा-मोटा मंदिर है तो स्थानीय लोगों की आस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि ऐसे वीर भगवान के मंदिर की ख्याति स्थानीय स्तर पर ही ज्यादा होती है, दूसरी जगह दूसरे वीर भगवान की पूजा होती है।
अलग अलग स्थान, अलग-अलग नाम व अलग-अलग कहानियां। हालांकि पढ़े लिखे लोग इसे अंधविश्वास की श्रेणी में मानते हैं। लोगों का कहना है कि यह मंदिर अंधविश्वास का प्रतिक है व इससे लोगों में अंधविश्वास बढ़ता है। क्योंकि ऐसे मंदिरों में अनेक स्थान पर आपको वीर भगवान के पूजारी जो स्थानीय भाषा में ‘भोपाजी’ कहे जाते हैं अवश्य मिलेंगे। विश्वास व अंधविश्वास के बीच इन मंदिरों की स्थानीय स्तर पर महत्वता न पहले कभी कम हुई थी न अभी हुई है।
अभी भी लोगों की आस्था इन ‘वीर भगवान’ में बनी हुई है, या यूँ कहें कि इनकी महत्वता और ज्यादा बढ़ी है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि पुराने जमाने में तो इन मंदिरों में या ऐसे मंदिरों में सिर्फ पूजा अर्चना होती थी व भोपाजी लोगों की समस्याओं के समाधान के उपाय बताते थें। अब स्थितियां बदल कर बड़े उत्सव में परिवर्तित हो गई है। अब अनेक स्थानों पर ‘वीर भगवान’ के मंदिरों पर वार्षिक मेला उत्सव बड़े स्तर पर आयोजित होते हैं जिसमें फले चुनड़ी (महाप्रसादी), भजन संध्या, रंगारंग भक्ती कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिसमें लाखों रूपए खर्च किये जाते हैं। यानि इन मंदिरों के प्रति तमाम विरोधाभाष कथनों व अंधविश्वास के आरोपों के बावजूद उत्सव धीरे-धीरे महाउत्सवों में बदलते जा रहे हैं।
वैसे स्थानीय स्तर पर इन मंदिरों के बाहर से गुजरने वाले लोगों का हाथ जोड़ना या अपनी गाड़ी का हॉर्न बजाना आवश्यक माना जाता है। जो लोग स्थानीय स्तर पर भी इसे अंधविश्वास कहते हैं, वह लोग भी जब इन मंदिरों के पास से गुजरते हैं तो श्रद्धा अथवा वीर भगवान के भय से स्वत: ही हाथ जोड़ लेते हैं या हॉर्न बजा देते हैं। कहा जाता है कि ऐसा न करने पर वीर भगवान नाराज हो जाते हैं तो गाडी पंचर हो सकती है या अन्य कोई दुर्घटना घट सकती है। अब इसे भय माने या आस्था, यह आपकी मर्जी है।
गांवों व अनपढ़ लोगों की बातों को छोडिए, पढ़े लिखे लोग भी आपको इन मंदिरों के भीतर नारियल की जोत करते मिल जायेंगे। वार्षिक उत्सवों में स्थानीय विधायक सांसद तक आते हैं व लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। ऐसे मंदिरों पर वार्षिक उत्सवों में भोजन व अन्य खर्च हेतु चढ़ावे की बोलिया लगाकर अपनी आस्था प्रकट करते है। आधुनिक समय में जब चाँद पर पहुँचने की बात करते हैं, ऐसे में हर गांव में स्थानीय वीर भगवान के मंदिरों की आस्था को क्या कहा जाये? यह ऐसा गंभीर विषय है जिस पर मुझे जैसे व्यक्ति का ज्ञान इतना नहीं कि जवाब दे पाऊँ।
अंधविश्वास की बात करने वाले लोग जब चाँद पर जाते हैं तब भी पूजा-पाठ तो करते हैं! राफेल विमान के श्रीगणेश में भी निंबू व नारियल का प्रयोग होता है, वह क्या है? अंधविश्वास की तमाम कहानियों के बीच भी हम देश के सर्वश्रेष्ठ न्युज चैनलों पर पूजा पाठ की खबरें, धार्मिक खबरें व ज्योतिषय सुझाव को बड़े ही ध्यान से सुनते भी है व उन पर अमल भी करते हैं, लेकिन बाहर से हम अंधविश्वास की कहानियां लोगों को सुनाते हैं।
यह पोस्ट किसी अंधविश्वास या आस्था के मद्देनजर नहीं लिखकर सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखी गई है। अंधविश्वास की बातों को बढ़ चढ़कर कहने वाले लोगों को जब इन मंदिरों के बाहर से सर झुकाकर या गाड़ी का हॉर्न बजाते देखता हूँ तो मुझे ताज्जुब होता है? मन में जब प्रश्न उठते हैं तो उन्हें शब्दों में उतार देता हूँ।
अंधविश्वास की बातें करने वाले लोग देश के बड़े बड़े मंदिरों में दर्शन हेतु कतार में खड़े मिलेंगे। देश का ऐसा कौनसा नेता है जो चुनावों में किसी मंदिर की चौखट नहीं चूमता? राजस्थान में सिर्फ वीर भगवान या मोमाजी बावसी के मंदिर ही नहीं है। स्थानीय स्तर पर बहुत छोटे मोटे मंदिर मिलेंगे व हर मंदिर की एक कहानी। अब आप इसे कहानी माने या फसाना आपकी अपनी मर्ज़ी है।
वैसे पोस्ट समाप्त करने से पहले आपको बता दु कि वीरों की भूमि राजस्थान में अब राजस्थानी फिल्में न के बराबर बनती है। लेकिन जब भी राजस्थनी फिल्मों की सफलता की कहानियां लिखी जाएगी उसमे एक फ़िल्म ‘वीर तेजाजी’ का नाम सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म में लिखा जाएगा। वीर तेजाजी का मंदिर राजस्थान में आज भी आस्था का प्रतीक है। यह मंदिर बहुत ही भव्य व विशाल है। यहाँ साल में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में नहीं लाखों में होती है। कुछ प्रश्न हमेशा अनुत्तरित होते हैं, जिसका जवाब मुश्किल होता है।
वीरों की भूमि राजस्थान में लोकदेवता के नाम से विख्यात बाबा रामदेव का रणुचा रामदेवडा स्थित भव्य मंदिर देश विदेश में विख्यात है। यहाँ हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं। एक माह विशेष में इस मंदिर में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं। बाबा रामदेव पर कई राजस्थानी फिल्में बनी हैं, व बन रही है। बाबा रामदेव भी लोकदेवता की श्रेणी में आते हैं, इन्हें कृष्ण अवतार माना गया है। यहाँ राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र से लोग आते हैं। यहाँ आने वाले लोगों में देश विदेश के लोग शामिल है।
आस्था कोई अंधविश्वास नहीं है, बल्कि एक अदृश्य शक्ति है जो इंसान के भीतर ‘आशा’ को जीवित रखती है कि कोई है जो उसकी मदद कर रहा है। यह शक्ति ईश्वरीय शक्ति भी हो सकती है व स्थानीय स्तर पर किसी लोक देवता की। यदि किसी बात से हमें ‘निराशा’ के बीच ‘आशा’ दिखाई देती है तो क्या हर्ज है? यदि किसी बात को हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है तो क्या हर्ज है? अंत में कही कहूँगा कि राजस्थान में यह मंदिर परम्परा से थें, है व आगे भी रहेंगे…. अब इसे आप आस्था माने या अंधविश्वास आपकी अपनी मर्जी है।
विविध
कोरोना (Coronavirus Covid 19) से बचने के उपाय – हमें अपनी जीवनशैली में आवश्यक बदलाव करना ही होगा।

श्रीमद्भागवत में एक प्रसंग आता है कि ‘‘कुछ पा लेना जीत नहीं व कुछ खो देना हार नहीं।’’ जीवन में हम क्या पाते हैं अथवा क्या खोते हैं, यह हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। हम किसी कार्य को पूरे प्रयास के साथ अवश्य कर सकते हैं, लेकिन उसके परिणाम के प्रति हम शत प्रतिशत आश्वस्त नहीं हो सकते। कार्य के परिणाम हमारे कर्मों के अधीन है। क्रिया की प्रतिक्रिया जीवन का आवश्यक सिद्धांत है।
देश ही नहीं सम्पूर्ण विश्व इस समय संकट से गुजर रहा है। कोरोना महामारी (Coronavirus Covid 19) का संकट कोई छोटा मोटा संकट नहीं है, पूरा विश्व या यू कहें कि सम्पूर्ण मानव जाति हैरान, परेशान व दहशत में है। कोरोना महामारी मानवीय मूल्यों के किस क्रिया की प्रतिक्रिया है, यह तो हम नहीं कह सकते लेकिन कुछ न कुछ तो संसार में किसी मानव ने ऐसा कुछ किया है, जो कदाचित प्रकृति के विरूद्ध है!
हमारा यह विषय नहीं है कि यह किसने किया, क्यों किया या कैसे किया? हमारा विषय है कि अब आगे क्या होगा? हम दुनिया की बात नहीं करके सिर्फ अपने देश की बात करेंगे। देश में लॉक डाउन चल रहा है, यह 17 मई तक निर्धारित है। सम्पूर्ण देशवासी इस पर मंथन कर रहे हैं, मीडिया बहस कर रही है कि आगे क्या होगा? क्या लॉक डाउन बढ़ेगा? एक बात तो तय है कि कोरोना का संकट 17 मई या जून-जुलाई तक समाप्त होने वाला नहीं है।
वैसे एम्स के डायरेक्टर ने तो कहा है कि जून में कोरोना संक्रमितों की संख्या सर्वाधिक होगी। यह संकट कितना लम्बा चलेगा इसका पूर्वानुमान लगाना अब असंभव है, लेकिन यह बहुत लम्बा चलने वाला है। कोरोना (Coronavirus Covid 19) का संकट इतना लम्बा चलने वाला है कि हम न तो लॉक डाउन में रह सकेंगे न ही बिना काम किये साल भर रह सकते हैं। कोरोना (Coronavirus Covid 19) वर्षभर रह सकता है, इसके बाद भी यदा-कदा इसके केस आने की संभावना हमेशा बनी रहेगी इसलिए अब हमें अपना जीवन कोरोना के साथ जीने की एक सुनियोजित आदत ड़ालनी पड़ेगी।
कोरोना हमारे साथ लम्बा वक्त गुजारने जा रहा है, लिहाजा हमें भी अब कोरोना (Coronavirus Covid 19) के साथ जीने की आदत डालनी चाहिए व हमारी जीवनशैली भी इस तरह होनी चाहिए कि हम कोरोना के साथ-साथ चल सकें। हमें न ड़रना है न किसी को ड़राना है। हमें कोरोना के बारे में भ्रामक व तथ्यहीन खबरों से भी सावधान रहना है। हमें दैनिक जीवन में कोरोना के प्रति कुछ सावधानियों को स्थायी रूप से अपनाना होगा ताकि हम बच सकें व ईश्वर न करे कभी हम इससे संक्रमित हो भी जाए तो हम इस महामारी से लड़ सके।
हम आपको कुछ जरूरी जानकारी, जानकारों व विशेषज्ञों की सलाह अनुसार देने जा रहे हैं। इन जानकारियों को दैनिक जीवन में उतारे इससे बहुत फायदे तो हैं ही, साइड इफेक्ट कुछ भी नहीं है। हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा, इसलिए दैनिक जीवन में कुछ जरूरी बातों को अवश्य उतारें।
कोरोना (Coronavirus Covid 19) से बचने से उपाय –
(01) हर व्यक्ति को यह मानकर चलना चाहिए कि उसके अलावा कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है, इसलिए आवश्यक दूरी को बनाए रखें।
(02) आपको कोरोना नहीं होगा, इस बात को जीवन से निकाल लीजिए, कोरोना किसी को भी किसी से भी व कभी भी हो सकता है।
(03) घर से बाहर निकलते वक्त चेहरे को हमेशा मास्क से ढ़ककर रखें।
(04) भीड़वाली जगहों, सार्वजनिक कार्यक्रमों, सिनेमाघरों, शॉपिंग मॉल व समारोह में जाने से यथासंभव बचकर रहें, जाना पड़े तो आवश्यक दूरी बनाए रखें।
(05) अपने हाथों से अपने चेहरे को हमेशा बचाए रखें।
(06) यदि आपको अंगुली से नाक या आँख साफ करने की आदत है तो इसे भूला दें। कभी भी किसी भी स्थिति में अपने हाथो से चेहरे, आँख व नाक को न छूए।
(07) जब भी आपको अपने हाथों से चेहरे को धोने, नाक साफ करने या आँख साफ करने की जरूरत पड़े तो पहले हाथों को किसी भी साबुन से अच्छी तरह धो लेवे।
(08) अपने बालों पर बार-बार हाथ घूमाना व हाथो से बालों को सवाँरना बंद करें। बालों को छूने के बाद हाथ अवश्य धो ले।
(09) अपने मोबाइल, अपने चश्मे, पर्स, पेन आदि को प्रतिदिन कम से कम एक बार अवश्य साफ करें। अगर संभव हो तो सेनेटाईजर से साफ करें।
(10) अपने बैठने की जगह, कम्पयूटर, लेपटॉप, कुर्सी, सोफा, टेबल को साफ रखें व साफ करने के बाद हाथों को भी साफ करें।
(11) अगर संभव हो तो दिन में एक बार एक चम्मच च्यवनप्राश का सेवन अवश्य करें। अगर च्यवनप्राश का सेवन करना संभव नहीं है तो अपने खान-पान में निंबू, संतरा, आँवला, खट्टे पदार्थ, पालक व उन चीजों का सेवन प्रतिदिन करें जिससे विटामिन-सी की पूर्ति हो सकें। यह ध्यान रखें कि विटामिन सी हमारे शरीर में स्थाई नहीं रहता इसलिए अपने खानपान को इस तरह बनाये रखे कि हमें प्रतिदिन विटामिन सी प्राकृतिक रूप से मिलता रहे। इस हेतु किसी भी पदार्थ का अत्यधिक सेवन भी न करें।
(12) गले को हमेशा साफ रखें। इस हेतु आप सोने से पहले व अगर संभव हो तो दिन में दो बार हल्के गुनगुने पानी में नमक ड़ालकर गरारे कर सकते हैं।
(13) फ्रीज़ की वस्तुएँ, ठंडे पेय पदार्थ खाने से परहेज करे।
(14) जहाँ तक संभव हो बाहर खाने-पीने व नाश्ता करने की अपनी प्रवृति को नियंत्रित करें।
(15) सलाद व कच्ची सब्जी खाने से परहेज करे या साफ धोकर ही खावे।
(16) थूँक लगाकर नोट गिनने की आदत को बदले।
(17) प्रयोग किये गये मास्क को प्रतिदिन बदलना अनिवार्य है। प्रयोग किये गये मास्क को या तो धूप में सुखा दे या धोकर काम में लेवे।
(18) खाने-पीने की चीजों को गर्म करके ही खाना चाहिए।
(19) ताजा भोजन करें, बासी भोजन करने से बचे।
(20) फास्टफूड खाने की प्रवृति को बदले।
(21) संभव हो तो प्रतिदिन कपड़े बदले। शाम को घर आने पर बाहर के कपड़े बाथरूम में एक तरफ उतार लेवे। संभव हो तो स्नान करे।
(22) प्रात:काल जल्दी उठकर पैदल टहलने की आदत डाले। अगर संभव हो तो योग भी कर सकते हैं।
(23) अपनी इम्यूनिटी को हमेशा बनाये रखना अनिवार्य है। यदि आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत है तो कोरोना के साथ साथ हर रोग से बचा जा सकता है।
(24) बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवाई का सेवन न करें।
(25) चाय, कॉफी, गर्म पेय पदार्थ का नियमित सेवन करते रहें। चाय में काली मिर्च, दाल चीनी, तुलसी पत्तें आदि का प्रयोग करें या चाय के मसाले का उपयोग करें।
(26) हल्का गर्म पानी पीने की आदत बनाये। अगर संभव नहीं है तो कुछ भी खाने के बाद हल्का गर्म पानी ही पीए। खाने के तुरंत बाद पानी न पीए। फ्रीज़ का पानी पीने से अपने आपको बचना होगा।
(27) कोरोना के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की अफवाह से बचकर रहें।
(28) कोरोना से बचने का सिर्फ और सिर्फ एक उपाय है, वह है कोरोना से बचना।
(29) सरकारी नियमों का पालन पालन करें। राज्य सरकार व केन्द्र सरकार के द्वारा कोरोना के सम्बन्ध में जारी गाइडलाइन्स का पूर्ण पालन करें।
(30) अपने मोबाइल में ‘आरोगय सेतु’ एप्प अवश्य रखें।
केन्द्र व राज्य सरकारें कोरोना महामारी (Coronavirus Covid 19) को काबू में करने का पूर्ण प्रयास कर रही है। भारत बहुत विशाल व प्रतिभाशाली देश है। हमने कई बीमारियों पर विजय प्राप्त की है। शीघ्र ही हम कोरोना महामारी पर भी विजय प्राप्त कर लेंगे व हमारी सरकारी मशीनरी जल्दी ही इस बीमारी का हल भी ढूँढ लेगी। कोरोना महामारी एक विश्वव्यापी त्रासदी है जिससे सम्पूर्ण मानवजाति प्रभावित हुई है। डरे नहीं, बल्कि कोरोना के साथ जीने की आदत डाले। सावधानी ही बचाव है, इसलिए सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।
विविध
इरफान खान – मेरे घर में इरफान नहीं मर सकता, क्योंकि इरफान मरा नहीं करते।

इरफान खान – चूँकि मैं फिल्मों का शौकिन रहा लिहाजा पहले इरफान खान व दूसरे ही दिन ऋषि कपूर की मौत ने मेरे चेहरे को गंभीर कर दिया था। इरफान खान की मौत के दिन पूरा दिन टीवी के सामने बैठा रहा। इरफान खान की फिल्मों के किरदार आँखों के सामने नाचने लगे, एक से बढ़कर एक फिल्में उन्होंने हमें दी है। इरफान खान की हर फिल्म ने कुछ न कुछ जिन्दगी का संदेश दिया है।
पूरे दिन टीवी के सामने बैठकर इरफान खान के बारे में देखते रहने पर श्रीमती ने सवाल कर दिया -‘‘क्या है आज कुछ विशेष है? पूरा टीवी में घूस कर बैठे हो!’’ मैंने उत्तर दिया – ‘‘एक फिल्म कलाकार का देहान्त हो गया है, इरफान खान का… बढ़िया एक्टर था।’’ श्रीमती ने साधारण जवाब दिया -‘‘इसमें इतना टेंशन की क्या जरूरत है…कलाकार है मर गया, हम क्या कर सकते हैं?’’ मैं चुप रहा।
यहां एक बात बताना जरूरी है कि मेरी पत्नि मंजुला को फिल्मों का शौक बिल्कुल नहीं है, न ही किसी भी प्रकार की न्युज का….कभी कभार टीवी देखती है तो सिर्फ धार्मिक धारावाहिक या ऐसा कुछ जो उसे देखते-देखते रोचक लगे। पढ़ी लिखी नहीं होने से व साधारण गृहणी होने से उसे फिल्मी या टीवी कलाकारों के नाम मालुम नहीं, लिहाजा उसके लिए इरफान खान की मौत से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था। कभी-कभी मेरे फिल्म देखते वक्त कोई फिल्म ज्यादा रूचिकर लगती तो वह जरूर देखती थी, ऐसी ही एक फिल्म थी बिल्लू। वैसे तो इस फिल्म का नाम दुसरा था लेकिन एक जाति विशेष के हस्तक्षेप व विवाद के बाद इसका नाम बदलकर बिल्लू कर दिया था। इस फिल्म में शाहरूख खान के साथ इरफान खान ने मुख्य भूमिका निभाई थीं।
यह फिल्म जब भी टीवी पर आती थी तब मंजुला भी यह फिल्म अवश्य देखती थी। उसने यह फिल्म कई मर्तबा मेरे साथ देखी। फिल्म के अंतिम दृश्य में शाहरूख खान व इरफान खान का जब मिलन होता है, तब इरफान खान रोते हुए शाहरूख खान के गाल पर हाथ रखकर कहता है -‘‘माफ कर दे यार….।’’ फिर वह रोते हुए उसके गले लगता है। फिल्म हिट थी या फ्लॉप मुझे ज्यादा नहीं मालुम, इरफान या शाहरूख खान का अभिनय कैसा था यह भी नहीं मालुम, लेकिन फिल्म बहुत बार देखी गई। फिल्म में एक दो दृश्य इतने मार्मिक थें कि सहज ही आँख नम हो जाती थीं।
किसी को फिल्म अच्छी लगी या बुरी, मुझे व मंजुला को यह फिल्म बहुत अच्छी लगी… बहुत अच्छी। मैंने बात को आगे बढ़ाकर श्रीमती को कहा -‘‘वो बिल्लू की फिल्म देखते थे हम …कई बार….।’’ उसने हैरत से मेरी तरफ देखा, मैंने आगे कहा -‘‘वह बिल्लू आज मर गया।’’ एक क्षण के लिए सन्नाटा छा गया। उसने हैरत से चीखते हुए कहा -‘‘वह कैसे मर सकता है! फिल्मों में आता है तो वह।’’ मैंने समझाया कि उसे कोई गंभीर बीमारी थी, आज मर गया। मंजुला काफी देर तक चुप रहीं। वह भी टीवी के सामने बैठ गई, अब उसका पूरा ध्यान टीवी पर दिखा रहे इरफान के विभिन्न किरदारों को देखने में था। उसे तलाश थी तो उस बिल्लू की जिसे वह पहचानी थीं। इरफान की मौत के बाद उसने दो-तीन बार मुझसे कहा है कि जब भी टीवी पर बिल्लू फिल्म आवे तब बताना वापस देखनी है।
सारांश यह कि जब कि हम पति-पत्नि टीवी के सामने बैठकर एक साथ ‘बिल्लू’ के किरदार को देखेंगे तो हमारे लिए इरफान जीवित हो उठेगा। हमारे जीवनकाल में इरफान नहीं मर सकता। इरफान ने बिल्लू ही नहीं हर फिल्म में अपने किरदार को निभाया नहीं, जिया है… एक शिद्दत के साथ। इसलिए इरफान खान जैसे कलाकार कभी नहीं मरा करते। वैसे तो इरफान खान ने पानसिंह तोमर, लाइफ ऑफ पाई जैसी कई फिल्में की है जिनके चर्चें है लेकिन कुछ फिल्में ऐसी भी है जो मुझे बेहद पसंद है जिसमें ‘थैंक यू’ फिल्म में उसका कॉमेडी के साथ नया अवतार रोचक था। सन्नी दयोल के साथ ‘राईट या रोंग’ जैसी फिल्में हमेशा ही जेहन में रहेगी। इरफान के निभाए किरदार हमारी जिन्दगी के करीब है इसलिए जब भी हम टीवी पर किसी किरदार को देखेंगे तो इरफान हमारे सामने होंगे, इसलिए इरफान कभी मरा नहीं करते… इरफान जैसा कलाकार मर ही नहीं सकता… कदापि नहीं।
इरफान खान की फिल्में (Irfan Khan’s Movies Films) –
सलाम बॉम्बे, लंच बॉक्स, हिन्दी मिडियम, अंग्रेजी मीडियम, लाइफ ऑफ पाई, जुरैसिक वर्ल्ड, स्लमडॉग मिलियनेयर, ब्लैकमेल, इन्फर्नो, पीकू, करीब करीब सिंगल, मदारी, कारवाँ, मकबूल, तलवार, पानसिंह तोमर, बिल्लू, गुंडे, हिस, जज्बा, पजल, डी डे, हैदर, न्यूयॉक, हासिल, सात खून माफ, थैंक यू, द वारियर, लाइफ इन ए मेट्रो, किस्सा, नॉक आउट, साहेब बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स, रोग, द किलर, क्रेजी-4, बाजीराव मस्तानी, राइट या राँग, ये साली जिन्दगी, मुंबई मेरी जान, यूँ तो होता तो क्या होता, तुलसी मातृदेवोभव, संडे, एक डॉक्टर की मौत जैसी अनेको फिल्में उन्होंने की है। इसके अतिरिक्त उन्होंने चन्द्रकांत, चाणक्य जैसे धारावाहिकों में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी है।