Shubhanshu Shukla Returns: शुभांशु शुक्ला की धरती पर ऐतिहासिक वापसी, लाखों भारतीयों के सपनों की उड़ान

Shubhanshu Shukla Returns

Shubhanshu Shukla Returns: शुभांशु शुक्ला की धरती पर ऐतिहासिक वापसी, लाखों भारतीयों के सपनों की उड़ान

15 जुलाई 2025 को, भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन की ऐतिहासिक यात्रा पूरी करने के बाद धरती पर सुरक्षित वापसी की। यह पल न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व और उत्साह का क्षण था। उनकी यह उपलब्धि भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 2027 में भारत की पहली स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी। शुभांशु की इस यात्रा ने न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों को रेखांकित किया, बल्कि लाखों भारतीयों के सपनों को नई उड़ान दी।

Shubhanshu Shukla Returns: एक सपने की शुरुआत

लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla), जिन्हें प्यार से “शक्स” भी कहा जाता है, ने बचपन से ही आसमान को छूने का सपना देखा था। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS), लखनऊ में पढ़ाई के दौरान उनकी जिज्ञासा और मेहनत ने उनके भविष्य की नींव रखी। उनके पिता शंभु दयाल शुक्ला और माता आशा देवी ने उस दिन को याद करते हुए भावुक हो उठे जब उनका बेटा अंतरिक्ष से धरती पर लौटा। उनके पिता ने कहा, “वह देश को गौरवान्वित करने वाला वही बच्चा है, जिसे हमने इस शहर में पाला-पोसा।”

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शुभांशु की यात्रा तब शुरू हुई जब एक दोस्त ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के लिए आवेदन करने की सलाह दी। 2006 में भारतीय वायु सेना में कमीशन प्राप्त करने के बाद, उन्होंने सुखोई-30 MKI, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान भरी। बाद में, उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री हासिल की। 2023 में, उन्हें गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में चुना गया, जो भारत के पहले स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा है।

Shubhanshu Shukla Returns ऐक्सिऑम-4 मिशन – एक ऐतिहासिक यात्रा

25 जून 2025 को, शुभांशु शुक्ला ने स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। जैसे ही रॉकेट ने कक्षा में प्रवेश किया, शुभांशु ने हिंदी में कहा, “कमाल की राइड थी!” और जोड़ा, “मेरे कंधों पर तिरंगा है, जो मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं।” यह संदेश भारत के 1.4 अरब लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।

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ऐक्सिऑम-4 मिशन, जिसमें शुभांशु मिशन पायलट थे, एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग था, जिसमें अमेरिका, भारत, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री शामिल थे। यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए 40 वर्षों में पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान थी। शुभांशु के साथ मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री), स्लावोस उज़नान्स्की-विस्निव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कपु (हंगरी) थे।

Shubhanshu Shukla Returns शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष स्टेशन पर 18 दिन

18 दिनों तक ISS पर रहते हुए, शुभांशु ने 60 प्रयोगों में हिस्सा लिया, जिनमें से सात भारत और इसरो द्वारा प्रस्तावित थे। इन प्रयोगों में मांसपेशियों के पुनर्जनन, शैवाल की वृद्धि और फसल की व्यवहार्यता जैसे विषय शामिल थे। ये प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में किए गए, जो भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेंगे।

शुभांशु ने ISS के कपोला से पृथ्वी का मनोरम दृश्य देखा और इसे “अद्भुत” बताया। उन्होंने कहा, “यह अनुभव युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा।” उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसने देश भर में उत्साह की लहर पैदा की।

Shubhanshu Shukla Returns: शुभांशु शुक्ला की धरती पर वापसी

15 जुलाई 2025 को, शुभांशु और उनकी ऐक्सिऑम-4 टीम स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल “ग्रेस” में सवार होकर पृथ्वी पर लौटे। कैप्सूल ने कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट पर प्रशांत महासागर में दोपहर 3:02 बजे (IST) स्प्लैशडाउन किया। लखनऊ में उनके स्कूल CMS में लाइव स्क्रीनिंग के दौरान उनके माता-पिता और बहन शुचि मिश्रा ने इस पल को देखा, और उनकी आंखों में गर्व के आंसू छलक आए।

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वापसी के बाद, शुभांशु को कैलिफोर्निया में एक विशेष रिकवरी जहाज पर ले जाया गया, जहां उनकी मेडिकल जांच की गई। इसके बाद, वे सात दिन के पुनर्वास कार्यक्रम से गुजर रहे हैं, जिसे इसरो और ऐक्सिऑम स्पेस के फ्लाइट सर्जन निगरानी कर रहे हैं। यह प्रक्रिया माइक्रोग्रैविटी के लंबे समय तक प्रभावों से उबरने के लिए आवश्यक है।

Shubhanshu Shukla Returns देश का गर्व, गगनयान की नींव

शुभांशु की इस उपलब्धि को भारत के शीर्ष नेताओं ने सराहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का धरती पर वापस स्वागत करता हूं। ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री के रूप में, उन्होंने अपने समर्पण, साहस और अग्रणी भावना से एक अरब सपनों को प्रेरित किया है। यह गगनयान मिशन की दिशा में एक और मील का पत्थर है।”

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी उनकी उपलब्धि की प्रशंसा की। योगी ने इसे “विज्ञान के प्रति साहस और समर्पण का प्रतीक” बताया, जबकि अखिलेश ने इसे “भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए मील का पत्थर” करार दिया।

इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि शुभांशु का अनुभव गगनयान कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह मिशन 2027 में तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की निम्न-पृथ्वी कक्षा में ले जाएगा। शुभांशु की ISS पर की गई गतिविधियों और प्रयोगों का डेटा इसरो को अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्र मिशनों की योजना बनाने में मदद करेगा।

Shubhanshu Shukla Returns एक प्रेरणा का प्रतीक

शुभांशु शुक्ला की यात्रा केवल एक अंतरिक्ष मिशन तक सीमित नहीं है; यह भारत के बढ़ते वैज्ञानिक और तकनीकी सामर्थ्य का प्रतीक है। उनकी कहानी लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही है, जो अब अंतरिक्ष विज्ञान और नवाचार की दिशा में अपने सपनों को पंख दे रहे हैं। लखनऊ के CMS स्कूल की छात्रा गीता गांधी किंगडन ने कहा, “शुभांशु की कहानी हमारे स्कूल के ‘विश्व एकता और शांति के लिए शिक्षा’ के मिशन को दर्शाती है।”

शुभांशु ने अंतरिक्ष से अपने संदेश में कहा था, “मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें। आइए, हम भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें।” यह संदेश आज भी गूंज रहा है, जो भारत को 2035 तक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने के सपने की ओर ले जा रहा है।

Shubhanshu Shukla Returns अंतरिक्ष युग में भारत की एक नई शुरुआत

शुभांशु शुक्ला की वापसी केवल एक मिशन का अंत नहीं है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष युग में एक नई शुरुआत है। उनकी मेहनत, साहस और देशभक्ति ने न केवल भारत का नाम रोशन किया, बल्कि गगनयान और भविष्य के मिशनों के लिए एक मजबूत नींव रखी। जैसे ही वे धरती पर लौटे, उनके तिरंगे ने हर भारतीय के दिल में गर्व की लहर दौड़ा दी। शुभांशु की यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर ठान लिया जाए, तो सितारे भी हमारी पहुंच में हैं।

जय हिंद! 🇮🇳

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