DGCA ने जारी किया आदेश, बोइंग विमानों की होगी जांच

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DGCA ने जारी किया आदेश, बोइंग विमानों की होगी जांच

भारत के विमानन क्षेत्र में हाल ही में हुई एक दुखद घटना ने सभी का ध्यान खींचा है। 12 जून 2025 को अहमदाबाद के पास एयर इंडिया की उड़ान AI-171, जो एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी, दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 260 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस हादसे ने न केवल देश को झकझोर दिया, बल्कि विमानन सुरक्षा के मुद्दों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए।

प्रारंभिक जांच में पता चला कि दुर्घटना का कारण विमान के दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति का अचानक बंद होना था, जिसके लिए फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग मैकेनिज्म पर सवाल उठे। इस घटना के बाद, भारत के नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने तत्काल प्रभाव से सभी बोइंग 737 और 787 विमानों के ईंधन स्विच लॉक की जांच के आदेश जारी किए हैं।

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क्या हुआ था एयर इंडिया की उड़ान AI-171 के साथ?

12 जून 2025 को, एयर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान, जो अहमदाबाद से उड़ान भर रहा था, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भारत की विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दुर्घटना का कारण विमान के फ्यूल कंट्रोल स्विच का ‘रन’ से ‘कटऑफ’ मोड में चले जाना था।

इसकी वजह से दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति रुक गई, जिसके परिणामस्वरूप विमान में पूरी तरह से शक्ति की हानि हुई और वह क्रैश हो गया। इस हादसे ने विमानन उद्योग में हलचल मचा दी और बोइंग विमानों के फ्यूल स्विच लॉकिंग मैकेनिज्म की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे।

DGCA का आदेश:

इस हादसे के बाद, डीजीसीए ने 14 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें सभी भारतीय एयरलाइंस, जो बोइंग 787 और 737 विमानों का संचालन करती हैं, को इन विमानों के फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग मैकेनिज्म की जांच करने का निर्देश दिया गया। इस आदेश के तहत, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, अकासा एयर और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस, जो भारत में इन मॉडलों के लगभग 150 विमानों का संचालन करती हैं, को 21 जुलाई 2025 तक जांच पूरी करनी होगी। डीजीसीए ने यह भी कहा कि एयरलाइंस को अपने जांच प्लान और रिपोर्ट्स को डीजीसीए मुख्यालय और संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में जमा करना होगा।

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इस आदेश का आधार 2018 में अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) द्वारा जारी एक विशेष एयर वर्थनेस इंफॉर्मेशन बुलेटिन (SAIB NM-18-33) है। इस बुलेटिन में FAA ने बोइंग 737, 747, 757, 767, 787 और अन्य मॉडलों में फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग मैकेनिज्म के संभावित डिसएंगेजमेंट की चेतावनी दी थी। यह सलाह दी गई थी कि एयरलाइंस को इन स्विचों की जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे गलती से हिल न सकें।

DGCA ने क्यों उठाया यह कदम?

FAA ने 2018 में अपनी सलाह में कहा था कि कुछ बोइंग 737 विमानों में ईंधन स्विच का लॉकिंग मैकेनिज्म डिसएंगेज्ड पाया गया था, जिससे यह जोखिम पैदा हो सकता था कि स्विच गलती से ‘कटऑफ’ स्थिति में चला जाए। लेकिन चूंकि यह सलाह अनिवार्य नहीं थी, कई एयरलाइंस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। AI-171 दुर्घटना के बाद, DGCA ने इसे गंभीरता से लिया और भारत में सभी बोइंग ऑपरेटरों को तुरंत जांच करने का आदेश दिया।

मामले की गंभीरता

एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की अहमदाबाद उड़ान दुर्घटना एक गंभीर विमानन त्रासदी थी, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि दुर्घटना का कारण फ्यूल कंट्रोल स्विच का अचानक ‘कटऑफ’ मोड में चले जाना था, जिसके परिणामस्वरूप इंजनों में ईंधन की आपूर्ति रुक गई। इस हादसे ने बोइंग विमानों के डिज़ाइन और रखरखाव प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए। DGCA का यह आदेश न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा को और मजबूत करने का एक प्रयास है।

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DGCA के आदेश का विमानन उद्योग पर प्रभाव

डीजीसीए का यह कदम वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने भी अपने बोइंग बेड़े की जांच शुरू कर दी है। उदाहरण के लिए, एतिहाद एयरवेज ने अपने बोइंग 787 विमानों के पायलटों को फ्यूल स्विच के संचालन में अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्देश दिया है।

एयर इंडिया ने पहले ही अपने आधे से अधिक बोइंग 787 और लगभग सभी 737 विमानों की जांच पूरी कर ली है, और अब तक कोई खराबी नहीं पाई गई है। हालांकि, DGCA ने सख्ती से कहा है कि 21 जुलाई तक सभी जांच पूरी होनी चाहिए, ताकि किसी भी संभावित जोखिम को रोका जा सके।

DGCA का आदेश: चुनौतियां और सवाल

इस निर्देश के बावजूद, कुछ सवाल अनुत्तरित हैं। FAA और बोइंग ने दावा किया है कि फ्यूल स्विच लॉक सुरक्षित हैं और इसे अनिवार्य जांच की आवश्यकता नहीं है। फिर भी, DGCA और अन्य देशों के नियामकों ने स्वतंत्र रूप से जांच का फैसला किया है, जो FAA के दिशानिर्देशों से अलग है।

इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह हादसा मानवीय त्रुटि का परिणाम हो सकता है, न कि डिज़ाइन दोष का। लेकिन डीजीसीए कोई जोखिम नहीं लेना चाहता, खासकर इतनी बड़ी त्रासदी के बाद। यह कदम यात्रियों के बीच विश्वास बहाल करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है।

आगे की राह

डीजीसीए का यह आदेश भारतीय विमानन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल सुरक्षा मानकों को और सख्त करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। जांच की समय सीमा 21 जुलाई 2025 है, और सभी एयरलाइंस से अपेक्षा की जाती है कि वे इस तारीख तक अपनी रिपोर्ट्स जमा कर दें।

इस बीच, यात्रियों में भी एक तरह का डर और सतर्कता देखी जा रही है। कई लोग अब उड़ानों से पहले विमान के मॉडल और एयरलाइन की सुरक्षा नीतियों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। यह स्वाभाविक है, क्योंकि कोई भी अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहता। लेकिन DGCA और एयरलाइंस के इस त्वरित और सख्त रवैये से यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न्यूनतम होंगी।

एयर इंडिया की उड़ान AI-171 की दुर्घटना ने पूरे विमानन उद्योग को हिला दिया है। डीजीसीए का बोइंग 787 और 737 विमानों के फ्यूल स्विच लॉक की जांच का आदेश एक त्वरित और आवश्यक कदम है। यह न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक प्रयास है।

उम्मीद है कि इन जांचों के परिणाम सकारात्मक होंगे और यात्रियों का भरोसा फिर से कायम होगा। आखिरकार, हर उड़ान का मकसद न केवल गंतव्य तक पहुंचाना है, बल्कि अपने यात्रियों को सुरक्षित और भरोसेमंद यात्रा का अनुभव देना भी है।

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